आयोग के लक्ष्य
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SL. No | आयोग के लक्ष्य |
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1. | किशोरों का अधिकतम विकास सुनिश्चित करने के लिए समान अवसरों की व्यवस्था करना और विशेष रूप से सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के अधिकारों को साकार करने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करना । |
2. | बाल अधिकारों को सभी स्थानीय निकायों, संबंधित विभागों, और समाज की विकास कार्यसूची के केंद्र में लाना तथा । |
3. | परिवारों समुदायों तथा बच्चों की देखभाल व संरक्षण के लिए जिम्मेदार अन्ना एजेंसियों व निकायों का सुदृढीकरण करना । |
4. | बाल अधिकारों के उल्लंघनों की शिकायतों की जांच पड़ताल करते समय आयोग राज्य सरकार या किसी अन्य अधीनस्थ प्राधिकार या संगठन से यथा विनिर्दिष्ट समय के भीतर सूचना या प्रतिवेट की मांग कर सकेगा। किन्तु यदि आयोग द्वारा नियत समय-सीमा के भीतर सूचना या प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होता है तो वह स्वयं शिकायत की जाँच पड़ताल करने की कार्रवाई कर सकेगा । |
5. | यदि सूचना या प्रतिवेदन प्राप्त होने पर आयोग का समाधान हो जाए कि आगे किसी जाँच की आवश्यकता नहीं। या यह कि अपेक्षित कार्रवाई संबद्ध सरकार या प्राधिकार द्वारा प्रारंभ कर दी गई है तो य ह उस शिकायत पा कार्रवाई नहीं करेगा और तदनुसार शिकायतकर्ता को सूचित कर सकेगा। |
6. | यह सुनिश्चित करना कि आयोग के कार्य शिशुओं के प्रत्यक्षतः सूचित विचारों पर आधारित हों कि उनकी प्राथमिकताएँ एवं परिप्रेक्ष्य परिलक्षित हैं । |
7. | अपने कार्यों में तथा बच्चों से संबंधित सभी सरकारी विभागों और संगठनों में बच्चों के विचारों को प्रोत्साहित करना, उनका सम्मान करना एवं उनपर गंभीरता पूर्वक विचार करना। |
8. | बच्चों से संबंधित आंकड़े संकलित एवं उनका विश्लेषण करना। आयोग विशेषज्ञों एवं शोध संस्थानों के सहयोग आँकड़ा संकलन एवं संग्रहण का विशेष कार्यक्रम चला सकेगा यदि आयोग को यह महसूस होता हो कि किस विषय विशेष कर पर्याप्त आँकड़े उपलब्ध नहीं है। |
9. | बाल अधिकारों के बारे में जानकारी विकसित करना और उनका प्रचार-प्रसार करना जिसमें अपना बेबसाइ बनाना भी शामिल है। |
10. | विद्यालय के पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण, पुलिस एवं सरकारी पदाधिकारियों के प्रशिक्षण तथा शिशुओं से संबं रखने वाले अन्य कार्मिकों के प्रशिक्षण में बाल अधिकारों के समावेशन को 100% प्रोत्साहित करना। |